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Showing posts from May, 2011
मुझे अकेले पन में साथी याद तुम्हारी कैसे आती आँसू रहकर इन आँखों में अपना कैसे नीड़ बनाते? यदि तुम मुझसे दूर न जाते! तुम हो सूरज-चाँद ज़मीं पर किसका क्या अधिकार किसी पर मेरा मन रखने की ख़ातिर तुम जग को कैसे ठुकराते? यदि तुम मुझसे दूर न जाते! आँख आज भी इतनी नम है जैसे अभी-अभी का गम है ताज़ा-सा यह घाव न होता, मित्र तुम्हें हम गीत सुनाते! यदि तुम मुझसे दूर न जाते! पल-भर तुमने प्यार किया है यही बहुत उपकार किया है इस दौलत के आगे साथी किस दौलत को गले लगाते? यदि तुम मुझसे दूर न जाते! तुम आओ तो सेज सजाऊँ तेरे संग भैरवी गाऊँ यह मिलने की चाह न होती तो मरघट का साथ निभाते! यदि तुम मुझसे दूर न जाते!