wo pyaar bhare din

कभी जो बंद कीं आँखें

कभी जो बंद कीं आँखें सितारों की तरह देखा
तुझे इस दिल की दुनिया में बहारों की तरह देखा

अकेला जानकर मुझको हवाओं ने जहाँ छेड़ा
तुझे उस छेड़खानी में सहारों की तरह देखा

कसक तो थी मेरे मन की मगर बेचैन थे बादल
तुझे उस हाल में मैंने फुहारों की तरह देखा

खिले फूलों की पंखुड़ियाँ ज़रा भी थरथरायीं तो
तेरे होठों के कंपने के नज़ारों की तरह देखा

उदासी के समंदर ने डुबोना जब कभी चाहा
तुझे उस हाल में मैंने किनारों की तरह देखा

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